हरियाणा विधान सभा के इतिहास में विधायी प्रारूपण पर पहली कार्यशाला संपन्न, विस अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण के मार्गदर्शन में अधिकारियों ने विधायी प्रारूपण की बारीकियां समझ विधि निर्माण के मूल उद्देश्य को भी किया आत्मसात | — चंडीगढ़, 27 सितंबर

हरियाणा विधान सभा की ओर से देश के इतिहास में अपनी तरह की पहली कार्यशाला अनेक मायनों में विशिष्ट रही। इस कार्यशाला में हरियाणा विधान सभा और प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने जहां विधायी प्रारूपण की तकनीकी बारीकियां समझी वहीं, उन्होंने विधि निर्माण के मूल उद्देश्य को भी आत्मसात किया।

लोक सभा के संवैधानिक एवं संसदीय अध्ययन संस्थान (आईसीपीएस) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला के दूसरे दिन अनेक विषय विशेषज्ञों ने जहां तकनीकी पक्ष को रखा, वहीं हरियाणा के महामहिम राज्यपाल प्रो. असीम घोष और महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति प्रो. राम शिंदे ने इस कार्यशाला की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने लोकहित और राष्ट्रहित को वरीयता पर रखते हुए कर्मचारियों को सीखने की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखने के लिए प्रेरित किया। दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान कुल 8 सत्रों में अधिकारियों व कर्मचारियों की जिज्ञासा ने इस जीवंत बनाया। इन जिज्ञासाओं पर विषय विशेषज्ञों के सारगर्भित जवाब दिए।

चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान (एमजीएसआईपीए) में शनिवार को समापन सत्र को संबोधित करते हुए विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कहते थे कि संविधान का संचालन करने वाले लोग सौभाग्यशाली होंगे। कल्याण ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था में विधि निर्माण सबसे महत्वपूर्ण कार्य है और इस कार्य में लगे अधिकारी कर्मचारी भी सौभाग्यशाली हैं। राष्ट्र निर्माण में लगे लोग न कभी रिटायर होते न कभी थकते, वे निरंतर कार्यरत रहते हैं। कल्याण ने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार देश एक राष्ट्र-एक विधान की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसके मद्देनजर हम सब मिलकर विधान पालिका को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

शनिवार को इससे पूर्व लोक सभा सचिवालय में संयुक्त सचिव रहे रविंद्र गरेमेला ने ‘विधान निर्माण में विधायी समितियों की भूमिका’ विषय पर व्याख्यान दिया। नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विधि विभाग के प्रो. असद मलिक ने ‘विधायी प्रारूपण के लिए संवैधानिक प्रावधान (संविधान का अनुच्छेद 14) और व्याख्या के लिए न्यायिक दृष्टिकोण’ पर प्रकाश डाला। दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में प्रो. अनुराग दीप ने ‘विधायी प्रारूपण पर प्रशासनिक कानून के प्रमुख सिद्धांत और व्यावहारिक प्रारूपण अभ्यास’ विषय लिया। हरियाणा सरकार में मुख्य सचिव रहीं केशनी आनंद अरोड़ा ने प्रशासन में नैतिकता और नैतिक मूल्य का पाठ पढ़ाया।